Mon. Sep 9th, 2024

‘आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥’ अर्थात जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। सूर्य नमस्कार सदियों से लोग करते आ रहे हैं और इसे सभी योगासनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

रोजाना सूर्य नमस्कार करने से अनके फायदे होते हैं। किसी भी प्रकार का योग या व्यायाम करें उससे पहले इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसे सही तरीके से करें। सूर्य नमस्कार एक आसन न होकर 12 योग आसनों का एक क्रमबद्ध तरीके से किया जाने वाला योग है। इसके 2 चरण किये जाते हैं तब पूर्ण सूर्य नमस्कार पूरा होता है। तो आइए जानते हैं सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम और विधि के बारे में

प्रणाम मुद्रा| Pranamasana

सबसे पहले चरण में दोनों हाथों को जोड़कर (नमस्कार की स्थिति में) सीधे खड़े हो जाएं। अपना पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। फिर अपनी आंखों को बंद करके तथा मन को शांत और एकाग्र चित करके अपने कन्धों को ढीला छोड़ें फिर दोनों हाथो को उठाकर सामने लाये। अब श्वास लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और श्वास छोड़ते हुए प्रार्थना की मुद्रा में दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं और ओम मित्रायः नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही कहते हैं प्रणाम मुद्रा।

हस्तउत्तानासन | Hasta Uttanasana

दूसरे चरण में गहरी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और पीछे कानों की ओर से ले जाते हुए कमर के पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान अपने पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ स्ट्रेच करने की कोशिश करें। जितना संभव हो सके अपने पेट को सीधा खींचे और शरीर को पीछे की तरह झुकाएं और इसके बाद ओम खगाय:नमः का जाप करें। इसी मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें और श्वास लें। सूर्य नमस्कार की इस स्थिति को हस्तउत्तानासन कहा जाता है।

हस्तपाद आसन या पाद-हस्तानासन | Padahastasana

तीसरे चरण में सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे आगे की और झुकना है। हाथों को सीधे रखते हुए आगे की ओर झुकाएं और दोनों हाथों को पैरों के दाएं-बाएं करते हुए जमीन को टच करें। ध्यान रखें कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी और घुटने सीधे रहें। इसके बाद श्वास छोड़ते हुए ओम सूर्य नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य नमस्कार की इस स्थिति को हस्तपाद आसन कहा जाता है।

अश्व संचालन आसन | Ashwa Sanchalanasana

चौथे चरण में सांस भरते हुए जितना संभव हो सके अपना दायां पैर पीछे की ओर ले जाएं। फिर दाएं घुटने को जमीन पर रखें और नजरें ऊपर आसमान की ओर रखें। इस दौरान ये कोशिश करें कि आपका बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में ही रहे। सिर को एकदम सीधे रखें और श्वास छोड़ते हुए ओम भानुवे नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की इस स्थिति को अश्व संचालन आसन कहा जाता है।

दंडासन| Dandasana

पांचवें चरण में सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में ही रखें। इस दौरान आपके हाथ जमीन के लंबवत होने चाहिए। दोनों एड़ियों को आपस में सटाकर रखें। सांस छोड़ते हुए ओम रवि नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की इस स्थिति को दंडासन कहा जाता है।

अष्टांग नमस्कार| Ashtanga Namaskara

छठे चरण में आराम से अपने दोनों घुटने जमीन पर लाएं और सांस बाहर की ओर छोड़ें। अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएं। इस स्थिति में अपनी कोहनियों को थोड़ा ऊपर ही रखना है परंतु छाती, दोनों हथेलियां,और ठोड़ी यह जमीन से टच करती रहेंगी। सांस छोड़ते हुए ओम रवि नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही अष्टांग नमस्कार कहते हैं।

भुजंगासन | Bhujangasana

सातवें चरण में सांस भरते हुए अपने शरीर के ऊपरी भाग को गर्दन पीछे करते हुए उठाएं। ऐसा करते समय थोड़ी देर के लिए इसी स्थिति में रुकें और कंधे कानों से दूर, नजरें आसमान की ओर रखें। यह स्तिथि भुजंग यानी की कोबरा से मिलती-जुलती लगती है। दोनों पैरों को आपस में जोड़कर रखेंगें। इसके बाद धीरे-धीरे श्वास लें और इसके बाद ओम हिरण्यगर्भया नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही भुजंगासन कहते हैं ।

पर्वत आसन | Parvat Aasan

आठवें चरण में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर की ओर उठाएं। चेस्ट को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) की तरह शेप में आ जाएं। इस दौरान एड़ियों को जमीन पर ही रखने का प्रयास करें। इस मुद्रा को ग्रहण करने के बाद ओम मरिचिये नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही पर्वतासन कहते हैं ।

अश्वसंचालन आसन | Ashwa Sanchalan Asana

नौवें चरण में आपको सांस भरते हुए दायां पैर दोनों हाथों के बीच ले जाना है और बाएं घुटने को जमीन पर रखना है। इस दौरान सिर और चेहरा ऊपर की तरफ रखें और पीछे देखने का प्रयत्न करें। सांस छोड़ते हुए ओम आदित्य नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही अश्वसंचालन आसन कहते हैं।

हस्तपाद आसन | Hastapadasana

दसवें चरण में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए बाएं पैर को आगे लाएं और हथेलियों को जमीन पर रखें। धीमे-धीमे अपने घुटनों को सीधा करें। हथेलियों को जमीन पर लगाकर रखें और सर नीचे की तरफ रहेगा और घुटनों को थोड़ा मुड़ा भी रहने दे सकतें हैं। अगर संभव हो तो अपनी नाक को घुटनो से छूने का प्रयत्न करें। सांस छोड़ते हुए ओम सावित्रे नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को ही हस्तपाद आसन कहते हैं ।

हस्तउत्थान आसन|  Hasta Uttanasana

ग्यारहवें चरण में सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे से ऊपर की ओर लाएं और हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान आपने कूल्हों को आगे की ओर धकेलें। दोनों हाथ कानों को स्पर्श करेंगे और खिंचाव ऊपर की ओर महसूस करें। श्वास लेते हुए ओम अर्काया नमः का जाप करें।सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को हस्तउत्थान आसन कहते हैं।

प्रणाम मुद्रा | Pranamasana

बारहवें और अंतिम चरण में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें, फिर हाथों को नीचे लाएं और पहले जैसी प्रणाम की स्थिति में आ जायें। इस दौरान एकचित्त होकर शरीर में हो रही हलचल को महसूस करें। प्रार्थना की मुद्रा में आपस में चिपकाते हुए सामान्य रूप से श्वास लेते हुए ओम भाष्कराय नमः का जाप करें। सूर्य नमस्कार की ऐसी स्थिति को प्रणाम मुद्रा कहते हैं ।

One thought on “Surya Namaskar: Benefits, Step by Step Poses| सूर्य नमस्कार के ये 12 आसन, शरीर के साथ मन को भी रखेंगे स्वस्थ”
  1. Greetings! Very helpful advice within this article! It’s the little changes that will make the largest changes. Thanks for sharing!

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