नई दिल्ली: देश में कोरोना का संक्रमण फिर से फैलने लगा है। ऐसे मास्क पहनकर ही बाहर निकलना चाहिए। संक्रमण से बचाव के लिए साफ और बेहतर मास्क का इस्तेमाल ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से भी बचाने में मददगार साबित हो सकता है। एम्स के 352 मरीजों पर हुए ताजा शोध में सामने आया है कि लंबे समय तक कपड़े का मास्क पहनने से गंदगी की वजह से ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक हो जाती है, इसलिए इसे इतने अधिक समय तक पहनने से बचना चाहिए। खासकर ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उन्हें अधिक सावधान रहने की जरूरत है।
अध्ययन में सामने आये चौंकाने वाले मामले
अध्ययन में 152 मरीज ऐसे थे जो कोरोना के साथ ब्लैक फंगस से भी पीड़ित थे, जबकि 200 मरीज ऐसे थे जो सिर्फ कोरोना से संक्रमित थे। शोध के मुताबिक, ब्लैक फंगस से पीड़ित मिले सिर्फ 18 फीसदी मरीजों ने ही एन 95 मास्क का इस्तेमाल किया था। वहीं करीब 43 फीसदी ऐसे मरीजों ने एन 95 मास्क का इस्तेमाल किया था जिन्हें ब्लैक फंगस का संक्रमण नहीं था।
71.2 फीसदी मरीजों ने किया था कपड़े के मास्क का इस्तेमाल
ब्लैक फंगस से पीड़ित 71.2 फीसदी मरीजों ने या तो सर्जिकल या कपड़े के मास्क का इस्तेमाल किया था। इनमें भी 52 फीसदी मरीज कपड़े वाले मास्क का इस्तेमाल कर रहे थे। 10.7 फीसदी मरीजों ने किसी भी मास्क का इस्तेमाल नहीं किया था। जिन कोरोना मरीजों को ब्लैक फंगस नहीं हुआ था उनमें से 42.5 फीसदी मरीजों ने एन 95 और 14.5 फीसदी ने सर्जिकल मास्क का प्रयोग किया था। शोध में पता चला कि गैर ब्लैक फंगस श्रेणी में 36 फीसदी ने कपड़े के मास्क और 7 फीसदी ने किसी मास्क का इस्तेमाल नहीं किया था।
म्यूकोरमाइकोसिस का हो सकता है खतरा
कपड़े वाले गंदे मास्क का कई बार और देर तक इस्तेमाल करने से म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा अधिक हो सकता है। जरूरी हो तो कपड़े के मास्क के नीचे सर्जिकल मास्क पहनें और 6 घंटे के अंदर सर्जिकल मास्क को भी बदल दें या कपड़े के मास्क को साफ कर पहनें।
डायबिटीज के मरीजों को अधिक खतरा
ब्लैक फंगस के 92 फीसदी मामले ऐसे कोरोना मरीजों में मिले, जिन्हें पहले डायबिटीज था। वहीं गैर म्यूकोरमायोसिस कटैगरी में केवल 28 फीसदी को डायबिटीज था।