लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में अभी लगभग 2 साल का वक्त बचा है लेकिन बीजेपी अभी से तैयारी शुरू कर दी है। विपक्ष एक बार फिर इस असमंजस में है कि आखिर बीजेपी (BJP) किस मुद्दे को लेकर चुनाव में आगे बढ़ेगी। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) फिर कोई बड़ा फैसला लेंगे? या फिर बीजेपी केंद्र सरकार की ओर से लिए गए जन कल्याणकारी योजनाओं को गिनाएगी। या काला धन एक बार फिर से मुद्द बनेगा। क्योंकि जिस प्रकार से ED को खुली छूट है इससे तो यही लग रहा है कि 2024 में कालाधन का मुद्दा भी गरमाने वाला है।
ED की कार्रवाई पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
इस वक्त सबसे ज्यादा ED शब्द की गूंज सुनाई दे रही है। इस शब्द के सुनते ही नेताओं के कान खड़े हो जा रहे हैं कि पता नहीं अगला नंबर किसका है। बंगाल में अभी नोटों की गड्डी देखकर लोगों का मुंह खुला का खुला ही है। मेहनत-मजदूरी करके कैसे भी घर चलाने वाले लोग जब ऐसी तस्वीरें देखते हैं तो उनके सामने यही सवाल कि इतना पैसा।
हालांकि जनता यह भी देख रही है कि ऐसे लोग पकड़े जा रहे हैं जिनके पास अकूत संपत्ति है। जिस प्रकार एक के बाद एक छापेमारी हो रही है उससे इस बात के संकेत तो मिल रहे हैं कि आने वाले वक्त में यह चुनावी मुद्दा जरूर बनेगा।
अब तो ED की कार्रवाई महाराष्ट्र में भी शुरू हो गई है। विपक्ष की ओर से यह कहा जा रहा है कि सरकार जानबूझकर निशाना बना रही है। ईडी का मसला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा लेकिन यहां भी ईडी की शक्तियां किसी प्रकार से कम नहीं हुई। इसको लेकर कई विपक्षी दलों ने सवाल भी खड़े किए। ईडी की छापेमारी एक के बाद एक जगहों पर जारी है। ED की कार्रवाई के बाद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन हिरासत में हैं। इस कड़ी में महाराष्ट्र और शिवसेना के बड़े नेता संजय राउत का भी नाम जुड़ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से लगातार ईडी की पूछताछ चल रही है। टीएमसी के मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के साथ नोटों के बंडल की चर्चा पूरे देश में है।