19 साल की उम्र में ही Yogi Adityanath ने क्यों छोड़ दिया था घर?

योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। ये तो आप सभी लोग जानते हैं, लेकिन 19 साल की उम्र में ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने घर क्यों छोड़ दिया था क्या इसके बारे में आप जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको योगी आदित्यनाथ के कुछ अनसुने किस्सों के बारे में बताएंगे। आज हम आपको यह भी बताएंगे कि अजय सिंह बिष्ट से कैसे बन गए योगी आदित्यनाथ? संसद में फूट-फूटकर क्यों रोए थे योगी आदित्यनाथ? 22 साल की उम्र में ही क्यों बन गए संन्यासी? इन सभी सवालों का जवाब आज आपको यहां मिलने वाला है। तो सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ का असली नाम क्या था और महज 19 साल की उम्र में योगी ने घर को क्यों कह दिया था अलविदा…

19 साल की उम्र में घर को कह दिया था अलविदा

योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट (Ajay Singh Bisht) है और उनका जन्म 5 जून 1974 को एक राजपूत परिवार में हुआ। वह मूलरूप से पौड़ी जिले के पंचूर गांव के रहने वाले हैं। गढ़वाल यूनिवर्सिटी (Garhwal University) से बीएससी (मैथ्स) करने के बाद अजय ने गुरु गोरक्षनाथ पर रिसर्च करना शुरू किया और महज 19 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर गोरखपुर आ गए थे। यहां गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नजर अजय सिंह पर पड़ी। अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे। महंत अवैध्यनाथ के साथ रहते हुए धीरे-धीरे अजय सिंह का झुकाव अध्यात्म की ओर होने लगा। महज 22 साल की उम्र में सांसारिक जीवन त्यागकर उन्होंने संन्यास ले लिया। जिसके बाद उन्हें नया नाम योगी आदित्यनाथ मिला। तब से सभी लोग अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ के रूप में ही जानते हैं।

Yogi Adityanath Image

कॉलेज में ABVP से जुड़ गए

यूनिवर्सिटी में ही अजय सिंह बिष्ट संघ की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे। स्टूडेंट्स ग्रुप में उनका खासा दबदबा भी रहता था। 1998 में 26 साल की उम्र में गोरखपुर सीट से पहली बार सांसद बने। योगी 12वीं लोकसभा में यंगेस्ट मेंबर चुने गए थे। इसी सीट से लगातार वो 5 बार सांसद रहे। योगी आदित्यनाथ हिंदू महासभा के प्रेसिडेंट और हिंदू युवा वाहिनी के फाउंडर भी हैं। हिंदू युवा वाहिनी को वे सांस्कृतिक संगठन कहते हैं। उन्होंने 22 एकड़ में फैले गोरखनाथ मंदिर को हिंदू राजनीति के अहम केंद्र में बदल दिया। योगी ने साल 2002 में धर्मपरिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ी। हिन्दू युवा वाहिनी पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के दर्जनों मामले दर्ज हैं। खुद योगी पर भी दंगा भड़काने और हत्या की कोशिश के 3 केस दर्ज हैं। 2007 में गोरखपुर में हुए दंगों में योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाया गयाथा और उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी।

जब संसद में फूट-फूटकर रोए थे योगी

लोकसभा में एख बार योगी आदित्यनाथ यूपी पुलिस की बर्बरता का जिक्र करते हुए रो पड़े थे। तब राज्य में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। इस दौरान गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखने के लिए स्पीकर सोमनाथ चटर्जी से इजाजत ली थी।

बता दें कि जनवरी 2007 में योगी के सपोर्टर राजकुमार अग्निहोत्री की झड़प के दौरान मौत हो गई थी। योगी उनसे मिलने जा रहे थे इसी दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पूर्वांचल के कई कस्बों में हिंसा भड़क गई थी। इसी मुद्दे पर योगी जब बोलने के लिए खड़े हुए तो फूट-फूट कर रोने लगे। कुछ देर तक वे बोल ही नहीं पाए। फिर कहा कि सपा सरकार उनके खिलाफ साजिश रच रही है और उन्हें जान का खतरा है। योगी ने स्पीकर को बताया था कि गोरखपुर जाते हुए उन्हें शांतिभंग करने के आरोप में हिरासत में लिया गया और जिस मामले में उन्हें सिर्फ 12 घंटे बंद रखा जा सकता था उस मामले में उन्हें 11 दिन जेल में रखा। योगी ने पहला चुनाव 1998 में 27 हजार वोटों के अंतर से जीता था जबकि 2014 के चुनाव में यह अंतर 3 लाख से ज्यादा हो गया।

योगी पर आजमगढ़ में हुआ था जानलेवा हमला

आजमगढ़ में योगी आदित्यनाथ पर साल 2008 में जानलेवा हमला हुआ था। इस दौरान उनकी गाड़ियों के काफिले को हमलावरों ने घेर लिया और फायरिंग की थी। इस हमले में योगी बाल-बाल बच गए थे। इस दौरान वह आजमगढ़ के स्टूडेंट लीडर रह चुके अजित सिंह की तेरहवीं में शामिल होने जा रहे थे। बताया जाता है कि फायरिंग के दौरान एक शख्स की मौत हो गई थी। उसके बाद आजमगढ़ और आसपास के इलाकों में इस घटना ने सांप्रदायिक रंग ले लिया था। इस मामले में योगी के सपोर्टर्स और खुद उनके ऊपर कई मुकदमे हुए। यूपी पुलिस और पीएसी ने कई बार योगी के ठिकानों पर दबिश दी। उनके सपोर्टर्स को बड़ी संख्या में जेल भेजा गया था।

इतना होने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने हार नहीं मानी और 2017 के विधानसभा चुनाव में फायरब्रांड नेता के रूप में चुनाव प्रचार किया। इस चुनाव में बीजेपी को बहुत बड़ी जीत मिली। जिसके बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बैठाया। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। इस बार भी बीजेपी को जीत मिली और योगी आदित्यनाथ दोबारा से मुख्यमंत्री बने।

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