इस समय देश में जिस व्यक्ति की सबसे ज्यादा चर्चा है वो हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सीएम की शपथ लेने जा रहे भगवाधारी योगी को लेकर किस्से कहानियों का दौर भी शुरू हो गया है, कोई उनके काम की चर्चा कर रहा है तो कोई कार्यप्रणाली की। किसी को उनकी बेबाक-बेलौस छवि पसंद है तो कोई उनकी सादगी का दीवाना है।
योगी आदित्यनाथ राजनीति की दुनिया में कैसे आए, इसके पीछे की कहानी बहुत ही जबरदस्त है। बात 27 वर्ष पहले की है। मार्च, 1994 में गोरखपुर के मुख्य बाजार गोलघर में कुछ विद्यार्थी एक दुकान पर कपड़ा खरीदने गए। ये विद्यार्थी गोरखनाथ मंदिर की ओर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ते थे। कपड़ा खरीदने के चलते मोलभाव को लेकर उनका दुकानदार से विवाद हो गया। विवाद के बीच दुकानदार ने बंदूक निकालकर विद्यार्थियों को धमकाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, उसने हवा में दो बार गोलीबारी भी कर दी। फिर क्या, भरे बाजार में हंगामा आरम्भ हो गया तथा पुलिस पहुंच गई।
विद्यार्थियों को पकड़ने के लिए छात्रावास में घुस गयी थी पुलिस
इस घटना में पुलिस ने दुकानदार पर तो कोई कार्रवाई नहीं की, उल्टे विद्यार्थियों को पकड़ने के लिए प्रताप छात्रावास में घुस गई। इससे इलाके में आक्रोश फैल गया। अगले ही दिन इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों ने 21 वर्षीय एक युवा संन्यासी की अगुवाई में पूरे गोरखपुर में उग्र प्रदर्शन किया। दुकानदार को तुरंत गिरफ्तार किए जाने की मांग कर रहा भगवा वस्त्र धारी यह संन्यासी एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गया। ये थे योगी आदित्यनाथ। भीड़ में उपस्थित ज्यादातर लोग इस युवा को जानते तक नहीं थे, लेकिन उसके अदम्य साहस को देख हैरान थे। इस प्रकार राजनीति में योगी आदित्यनाथ ने एंग्री यंग मैन अंदाज से शानदार एंट्री ले ली।
योगी ने खुद बताया सीएम बनने का किस्सा
एक इंटरव्यू में योगी ने खुद अपने सीएम बनने की कहानी बयां की। योगी ने कहा,’मैंने कभी उम्मीद नहीं थी कि मैं यूपी का सीएम बनूंगा, और ना ही किसी दौड़ में मैं शामिल था। रिजल्ट के एक दिन पहले मुझे विदेश जाना था। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा जी का कॉल आता है कि आपको एक डेलीगेशन के साथ विदेश जाना है वहां आपकी बड़ी डिमांड है। तब मैंने कहा कि मैं विदेश दौरे पर बहुत जाता नहीं हूं, तो उन्होंने कहा कि पोर्ट ऑफ लुइस में पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।
जब पीएमओ ने वापस ले लिया पासपोर्ट
योगी इंटरव्यू में आगे बताते हैं,’11 मार्च को नतीजे आने थे तो 10 मार्च को मुझे सूचना मिली की पीएमओ ने मेरी पासपोर्ट वापस ले लिया है। इसके बाद अगले दिन मैंने गोरखपुर की टिकट बुक की और वापस आ गया। 17 मार्च को उनका (पीएम) का फोन आता है कि कहां हैं? मैंने कहा मैं तो गोरखपुर हूं, तो उन्होंने कहा कि कैसे तुरंत आ सकते हैं, मैंने कहा अभी तो आ नहीं सकता हूं क्योंकि 6 बज चुके हैं। उन्होंने कहा कि सुबह आपके लिए चार्टर प्लेन भेज रहा हूं, अगले दिन मैं उससे दिल्ली चला गया। जैसे ही गया तो उन्होंने कहा तो उन्होंने कहा कि आप सीधे लखनऊ चले जाइए आपको शपथ लेनी है, मैंने कहा कि काहे की तो उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सीएम की।’
योगी की लोकप्रियता में आया उछाल
शुरुआत में कानून संबंधी लिए गए योगी के फैसलों से यूपी में इनामी बदमाशों ने खुद थाने जाकर सरेंडर किया तो उनके फैसलों की तारीफ होने लगी। इसके बाद चाहे एंटी रोमियो स्काड हो या फिर एनकाउंटर, उनके फैसलों पर उंगुली भी उठी लेकिन योगी का इस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। तमाम आलोचनाओं के बावजूद भी तमाम टीवी सर्वे में भी उनकी लोकप्रियता बनी हुई है। आज योगी ने खुद को एक हिंदुत्व के चेहरे के रूप में ऐसे पेश किया जो यूपी ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी रसूखदार चेहरा बन चुके हैं।