साउथ में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के बाद अब अमेजन प्राइम पर ‘पुष्पा द राइज’ हिंदी के दर्शकों के लिए भी उपलब्ध हो गई है। ‘बाहुबली’ के बाद शायद ही किसी साउथ की मूवी का हिंदी के दर्शकों को इतना इंतजार रहा हो, चर्चा ही इतनी हो गई है। वैसे हिंदी के आम दर्शकों से ज्यादा इसे हिंदी के एक्टर्स और डायरेक्टर्स को देखना चाहिए कि कैसे एक आम सी कहानी को तूफानी तेवर और कलेवर के जरिए एक सुपरहिट मूवी बनाया जा सकता है।
ये हे फिल्म की कहानी
कहानी है एक ऐसे जंगल की, जिसमें मिलने वाले लाल चंदन से जापान की शादियों में बजने वाले एक खास किस्म के वाद्ययंत्र को बनाया जाता है, वो लाल चंदन की लकड़ी को चीन से स्मगलिंग करके मुंहमांगे दामों में मंगाते हैं, जबकि पैदा वो लकड़ी केवल साउथ इंडिया के एक जंगल में ही होती है। भारत में इन पेड़ों को काटना मना है और फिर भी काटना और चीन तक स्मग्ल करके पहुंचाना, ये एक बड़ा अंडरवर्ल्ड गेम है, जिसमें एक स्टाइलिश, गरीब मजदूर ‘पुष्पा राज’ (अल्लू अर्जुन ) उतर जाता है, जिसे अपने गांव में नाजायज औलाद के रूप में माना जाता है। कैसे अपने ‘दिमाग और दुस्साहस’ के जरिए वो स्थापित स्मगलरों और गैंगस्टर्स को हटाकर सिंडिकेट का मुखिया बनता है, यही कहानी है, जो ना जाने कितनी बार बॉलीवुड की फिल्मों में दोहराई जा चुकी है।
फैंस को पंसद आ रहा अल्लू अर्जुन का स्टाइल
अल्लू अर्जुन को पसंद करने की 2 बड़ी वजहें हैं, अल्लू अर्जुन के तेवर और फिल्म का कलेवर, यानी लाल चंदन की कहानी। ‘पुष्पा से फ्लॉवर मत समझना, ये फायर है’, ये अकेला डायलॉग अल्लू अर्जुन के तेवर बताने के लिए काफी है। जिसमें आपको ‘काला’ के रजनीकांत, ‘कबीर सिंह’ के शाहिद कपूर, ‘केजीएफ’ के यश और ‘पदमावत’ के रणवीर सिंह की झलक देखने को मिलेगी, वैसी ही दाढ़ी, वैसे ही तेवर लेकिन डायरेक्टर सुकुमार की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने पूरी मूवी अल्लू अर्जुन के भरोसे ही नहीं छोड़ दी बल्कि एक एक करेक्टर ऐसा ढूंढा, जो उस कहानी का असली किरदार लगे, एक एक सीन ऐसा प्लान किया, जिसमें लगे कि दिमाग लगाया गया है, एक एक लोकेशन ऐसी ढूंढी जो आपकी आंखों को परदे पर चिपका कर रखती हो। मूवी को खास कलर्स और लाइट्स मे भी पेश किया गया है ताकि आपको देखने का अलग ही अनुभव हो।
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सभी कलाकार हैं बेहतर
फिल्म में चाहे वो पुष्पा की प्रेमिका श्रीवल्ली के किरदार में रश्मिका मंदाना हो, मंगलम श्रीनू के किरदार में सुनील हों, कोंडा रेड्डी के किरदार में अजय घोष या फिर एसपी भंवर सिंह शेखावत के किरदार में फहाद फासिल, हर किरदार को कायदे से गढ़ा गया और सही कलाकार ढूंढा गया। एक और किरदार है, वो है ‘तरकीबें’, पुलिस से माल बचाने के लिए पुष्पा की तरकीबें, वाकई में इस मूवी का सबसे अनोखा हिस्सा है, जो मूवी में लगातार आपकी दिलचस्पी बनाए रखता है और सामने से नजर हटा नहीं पाते कि कोई सीन मिस ना हो जाए और किसी किसी सीन को रिपीट भी देखते हैं।