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उत्तर प्रदेश में दूसरी बार शानदार जीत के साथ योगी आदित्यनाथ ने एक नया इतिहास रचा है तो कई अंधविश्वास का अंत भी कर डाला है। यूपी में जीत के साथ योगी ने एक साथ कई मिथक तोड़ दिए हैं, जिन्हें लेकर यूपी की सियासत में एक डर पैदा कर दिया गया था, लेकिन योगी ने ये बता दिया कि जीत के विश्वास के आगे अंधविश्वास कहीं नहीं टिकता।

पहला मिथक: नोएडा जाने वाला सीएम फिर सत्ता में नहीं आता

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मिथक हमेशा से चर्चा में रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी अगले चुनाव में चली जाती है। नोएडा से जुड़े इस अंधविश्वास का खौफ नेताओं में इतना अधिक रहा है कि विदेश में पढ़े लिखे अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी नोएडा नहीं आए। उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी। 2007 से 2012 के बीच मायावती ने इस मिथक को तोड़ने दो बार नोएडा गईं। लेकिन 2012 में उनकी सरकार गिर जाने के बाद नोएडा का ये मिथक फिर चर्चा में आ गया। वहीं दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ अपने 5 साल के कार्यकाल में लगभग 20 बार नोएडा आए। आखिरी बार उन्होंने चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक बाद नोएडा का दौरा कर दिया।

दूसरा मिथक: पहली बार पांच साल सरकार चलाने के बाद दोबारा सीएम बनने का रिकॉर्ड

आजादी के बाद से अब तक कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में वापसी नहीं कर पाया। योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक पर भी पूर्ण विराम लगाकर यह रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया।

तीसरा मिथक: 15 साल बाद कोई विधायक बनेगा मुख्यमंत्री

भाजपा ने पूरा चुनाव योगी आदित्यनाथ के काम पर लड़ा। दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही 15 साल के बाद कोई विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा। 2007 में मायावती, 2012 में अखिलेश यादव और फिर 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, लेकिन तीनों विधान परिषद के रास्ते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए।

चौथा मिथक: एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने वाला सीएम हार जाता है चुनाव

उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे के अंधविश्वास की शुरुआत हुई ग्रेटर नोएडा-आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस वे से, जिसकी नींव फरवरी 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने रखी थी। लेकिन जो एक्सप्रेस वे मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, वो उसका उद्घाटन तक नहीं कर सकीं। 9 अगस्त 2012 को अखिलेश ने यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया। 2012 में अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे बनने की शुरुआत हुई और 2016 में अखिलेश ने इसका उद्घाटन किया, लेकिन 2017 में उनकी सरकार भी चली गई।

इसके बाद एक्सप्रेसवे बनवाने को लेकर राजनीति के गलियारों में एक नई चर्चा ने जन्म लिया, लेकिन योगी यहां भी नहीं डरे। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी में 3 बड़े एक्सप्रेस वे बनवा दिए। जिनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे शामिल हैं। अब उनकी धमाकेदार जीत ने साबित कर दिया कि खुद पर विश्वास करना जरूरी है, अंधविश्वास पर नहीं।

पांचवा मिथक: अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने वाला सीएम नहीं करता वापसी

योगी करीब ढाई दशक पहले जब उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी से वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं। इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने जाने को लेकर भी नेताओं का मिथक तोड़ा है।

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